Wednesday, March 4, 2009

3जी स्पेक्ट्रम नीलामी से रक्षा बलों को 15,700 करोड़ मिलेंगे

3जी स्पेक्ट्रम नीलामी से रक्षा बलों को 15,700 करोड़ मिलेंगे
28 Feb 2009, 0107 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स

जोजी थॉमस फिलिप/कल्याण पर्बत

दिल्ली/कोलकाता : आगामी 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी से मिलने वाली रकम में से करीब 3.1 अरब डॉलर (15,700 करोड़ रुपए)रक्षा बलों को वैकल्पिक कम्यूनिकेशन नेटवर्क तैयार करने के लिए दिया जा सकता है। बहरहाल दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा फायदा सार्वजनिक क्षेत्र की टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल को होगा क्योंकि रक्षा सेनाओं के लिए नेटवर्क बनाने और उसके रखरखाव के लिए पूरी रकम बीएसएनएल को दी जा सकती है।

संचार मंत्रालय में तैयार हो रही रणनीति तो इसी तर्ज पर बढ़ती दिख रही है। बीएसएनएल को वैकल्पिक एयर फोर्स नेटवर्क बनाने के लिए 1,077 करोड़ रुपए, सेना और नौ सेना के लिए इसी तरह की सुविधा तैयार करने के लिए 8,893 करोड़ रुपए तथा अगले 10 साल तक इस इंफ्रास्ट्रक्चर के रखरखाव के लिए 5,730 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। इस मामले पर विचार कर रहा मंत्रियों का समूह इस प्रोजेक्ट के लिए 15,700 करोड़ रुपए तय करने वाला है। इसके अलावा वह 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रारूप पर चर्चा पूरी कर लेने के बाद इस पर कैबिनेट की सिफारिश भी लेने वाला है।

अंतरिम बजट में सरकार कह चुकी है कि वह 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी से 20,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद कर रही है। बहरहाल इसमें से राजकोष में महज 4,000 करोड़ रुपए ही आएंगे और शेष रकम डिफेंस नेटवर्क तैयार करने में खर्च हो जाएगी। अभी तक इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने बीएसएनएल को महज 328.6 करोड़ रुपए ही दिए हैं।

स्पेक्ट्रम सभी कंपनियों के लिए बेहत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी आधार पर वे सेवाएं देती हैं, हालांकि इस समय अधिकांश स्पेक्ट्रम रक्षा बलों के पास है। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी बीएसएनएल पर है। इसमें वह 2011 तक कोर नेटवर्क के लिए 50,000 किलोमीटर फाइबर और एक्सेस नेटवर्क के लिए 10,000 किलोमीटर फाइबर बिछाएगी तथा 270 जगहों को आपस में जोड़ेगी। इस वैकल्पिक नेटवर्क की प्रगति के आधार पर रक्षा बल चरणबद्ध तरीके से स्पेक्ट्रम खाली करेंगे।

इस समय देश की सभी दूरसंचार सेवाएं 2जी स्पेक्ट्रम के जरिए दी जा रही हैं लेकिन सभी कंपनियों की जरूरतें पूरी करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त स्पेक्ट्रम नहीं है। इसके अलावा सरकार के पास 22 में से 9 सर्किलों में पर्याप्त 3जी रेडियो फ्रीक्वेंसी नहीं है। 3जी स्पेक्ट्रम के जरिए टेलीकॉम कंपनियां हाई एंड सर्विसेज देने की तैयारी कर रही हैं।

बीएसएनएल के पहले के अनुमानों के आधार पर प्रोजेक्ट की लागत करीब 3,593 करोड़ रुपए कम रहती, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड ने सुझाव दिया है कि नेटवर्क को स्वतंत्र रूप से पूरा किया जाए और रखरखाव, प्रबंधन तथा ऑपरेशन के लिए अलग से मानव संसाधन हो। इस वजह से प्रोजेक्ट की लागत बढ़ गई।

जनवरी 2009 में कैबिनेट ने 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी का प्रस्ताव मंत्रियों के समूह के पास भेज दिया था। इसके बाद स्पेक्ट्रम की बिक्री अनिश्चित काल के लिए टल गई। नीलामी की फ्लोर प्राइस और हाई एंड सेवाओं के लिए कंपनियों की संख्या को लेकर मंत्रालयों के बीच मतभेद होने से ऐसा हुआ। उम्मीद है कि 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी की राह तैयार करने के लिए मंत्रियों के समूह का गठन जल्दी ही कर लिया जाएगा। यह समूह ऐसी प्रक्रिया तलाशेगा जिससे नीलामी से मिलने वाली रकम का अच्छा-खासा हिस्सा रक्षा बलों के लिए अलग रखा जा सके। इस बात की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन संचार मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस समूह की अध्यक्षता रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी को दी जा सकती है।

No comments: